सुमेरपुर। केन्द्र व राज्य सरकार एक ओर तो पारंपरिक जल स्रोतों को बहाल करने, जल संचयन संरचनाओं के निर्माण, भूजल पुनर्भरण और बाँधों की मरम्मत करवाने एवं जल संरक्षण करने के लिए प्रदेश भर में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। वहीं दूसरी ओर सुमेरपुर पंचायत समिति के ग्राम कोलीवाड़ा में प्रभावी व्यक्तियों ने जल संरक्षण योजना के तहत वर्षों पुराने निर्मित एनिकट को तोड़ कर इन योजनाओं की खुल्ले आम धज्जियां उडा रहे हैं
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नागरिकों ने बताया कि ग्राम कोलीवाड़ा में पशु पक्षियों के पानी पीने व कुओं का जलस्तर स्थिर रहे, इसके लिए बारिश के पानी का संरक्षण करने के लिए जल संसाधन विभाग की ओर से लाखों रुपए खर्च कर निर्माण करवाया गया। ग्राम पंचायत कोलीवाड़ा की बैठक में इस एनिकट का निर्माण करवाने का प्रस्ताव भी सर्व सम्मति से लिया गया। पंचायत के प्रस्ताव पर पाली जिला कलेकटर ने वर्ष 2004-5 में जल संसाधन विभाग को जल संरक्षण योजना के तहत् एनीकट निर्माण करवाने की स्वीकृति प्रदान की थी। जिस पर सिंचाई विभाग ने मनरेगा योजना के तहत नागरिकों को रोजगार उपलब्ध करवाने व पशु-पक्षियों, जंगली जानवरों के पानी पीने के लिए लाखों रुपए खर्च कर एनिकट का निर्माण करवाया। जिसमें बारिश का पानी भरा रहने से जंगली जानवर व पशु-पक्षी हमेशा पानी पीते हैं। लेकिन इसकी जमीन हड़पने की नियत से भू-माफियाओं ने 26 सितम्बर को जेसीबी मशीन से एनिकट की आधी से अधिक मिट्टी की पाल को तोड दी है। पाल को तोड कर मिट्टी समतल कर दी है। यहीं नहीं,पाल के अंदर जो पत्थर लगवाए थे,वह भी मिट्टी के साथ उखेड़ कर पानी में डाल दिए हैं। बताते है कि एनिकट की जमीन को हड़पने की नियत से एनिकट की पाल को तोडा गया है। नागरिकों ने बताया कि भु माफियाओं ने एनिकट की पाल को तोड कर लाखों रुपयों का नुकसान किया है। जेसीबी मशीन से एनिकट की पाल तोड़ी गई है। ऐसे में इस एनिकट में बारिश के पानी को संरक्षण करना भी अब सम्भव नहीं होगा। आधी से अधिक पाल को तोड दिया है। इसकी जानकारी होने के बावजूद भी सम्बंधित विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। तीन-चार होने के बाद भी एनिकट तोड़ने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिससे नागरिकों में रोष है।